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Showing posts from July, 2017

मन की चंचलता

कैसे कहु, कहा से कहु, और कब कहु इस यथार्त रुपी हकीकत को, हर पल, हर भाव, और हर कदम में छुपाया हे जिसको, ये विचारो का विवाद कर्मण्यता से नही था, पर भावना की वास्तविकता का स्त्रोत बन बैठा, कैसे कहु, कहा से कहु, और कब कहु इस यथार्त रुपी हकीकत को | लकीरे तो वही थी, कुछ सीधी तो कुछ मुड़ी हुयी, गन्तव्ये भी वही थे, कुछ दृष्टान्त तो कुछ ओजल भी पाये, गति का बहाव भी कहि तीव्र तो कहि सुस्त मिला, लहेरो की कल-कल में कहि शोर भी था, तो कुछ शांत भी दिखी, कैसे कहु, कहा से कहु, और कब कहु इस यथार्त रुपी हकीकत को | कुछ किरणो के कदमो में चंचलता थी तो, कुछ किरणें मोंन अवस्था में भी प्रवाहित थी, टूटे हुए झरोखे से पलकति हुयी निगाये दर्पण पर मिली, जिसके केन्द्र पर छायाचित्र भी इतर के आँगन का था, कैसे कहु, कहा से कहु, और कब कहु इस यथार्त रुपी हकीकत को | @ कमल सिंह मीणा

कबीर दास जी के प्रसिद्द दोहे

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कबीर दास जी के प्रसिद्द दोहे हिंदी अर्थ सहित   बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय, जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय। अर्थ :  जब मैं इस संसार में बुराई खोजने चला तो मुझे कोई बुरा न मिला. जब मैंने अपने मन में झाँक कर देखा तो पाया कि मुझसे बुरा कोई नहीं है.   पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय, ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय। अर्थ :  बड़ी बड़ी पुस्तकें पढ़ कर संसार में कितने ही लोग मृत्यु के द्वार पहुँच गए, पर सभी विद्वान न हो सके. कबीर मानते हैं कि यदि कोई प्रेम या प्यार के केवल ढाई अक्षर ही अच्छी तरह पढ़ ले, अर्थात प्यार का वास्तविक रूप पहचान ले तो वही सच्चा ज्ञानी होगा.   साधु ऐसा चाहिए, जैसा सूप सुभाय, सार-सार को गहि रहै, थोथा देई उड़ाय। अर्थ :  इस संसार में ऐसे सज्जनों की जरूरत है जैसे अनाज साफ़ करने वाला सूप होता है. जो सार्थक को बचा लेंगे और निरर्थक को उड़ा देंगे. तिनका कबहुँ ना निन्दिये, जो पाँवन तर होय, कबहुँ उड़ी आँखिन पड़े, तो पीर घनेरी होय। अर्थ :  कबीर कहते हैं कि एक...

Swami Vivekananda Quotes

Swami Vivekananda: We are responsible for what we are  And whatever we wish ourselves to  be  we have the power to make    ourselves  If what we are now  has been the result of our own  past actions  it certainly follows that whatever  we wish to be in future  can be produced by our present  actions  so we have to know how to act. Fill the brain with  high thoughts and highest ideals  place them day and night before  you  and out of that  will come great work. We reap what we sow  We are the makers of our own fate  None else has the blame  None has the praise. Fear is the death  Fear is the sin Fear is hell Fear is unrighteousness Fear is wrong life  All the negative thoughts and ideas  that are in the world  have proceeded from this  evil spirit of fear. This is the...

दैनिक विचार

मत कोसो उस मासूम आवाज को, जो पुकारती हे दिल की गहराइयो से | जरा थोड़ी सी दर्ष्टि बदलो, भले ही न समझो उसके स्त्रोत को पर उसकी मासूमियत को पहचान लो ||                                                                                     @ कमल सिंह मीणा

पर्यावरण विचार

मत करो पर्यावरण से खिलवाड़, ये धरती माँ करे पुकार !  आओ सब मिलकर संकल्प करे, धरती माँ को करे खुशहाल !!                                                                 कमल सिंह मीणा 

मन की व्यथा

सांझ भई, दिन ढल आया, पंछी कुटुम्ब संग लौटे अपने आस्याने को | मनवा बावरा, क्यों तू अकेला इंतिज़ार करे, चलो अपने घर चल || जिंदगी का पैमाना भी बहुत आकर्सक हे जो वक्त के साथ खुद ही अपना मान बदल लेता हे | बिना विस्तार के अपने नजरिये के बदलाव से ही मूल्यनिरूपण बदल देता हे || किनारा तो समतल ही था, पर कुछ जोखिम भरे जलचर भी थे उस दल दल में | निकल पड़ा पैदल ही दरिया पार करने, आखिर कब तब तक इंतजार करता बिना माँजी के नाव का || न तेज दिखा न ही सौरये, दिखा तो बस वर्ण का प्रतिशोध | अँधेरा तो पहले भी था और अब भी, पर पहले वास्तविक था अब आभासी || चाँद भी नही था, तो चाँदनी भी नही, बस कुछ तारे टिमटिमा रहे थे | वक्त का तकाजा है, सदी बदल गयी तो आभास भी ||                                                                   कमल   सिंह   मीणा