समझ की कमी
ना तो शब्दो का अर्थ पता है,
ना ही उनका उच्चारण,
करने चला हूँ में वाद विवाद उनके महत्व पर,
खूब दौड़ाया मछली को हवा में,
त्वरित वेग से,
फिर भी बचा ना सका जान उसकी में |
ना ही उनका उच्चारण,
करने चला हूँ में वाद विवाद उनके महत्व पर,
खूब दौड़ाया मछली को हवा में,
त्वरित वेग से,
फिर भी बचा ना सका जान उसकी में |
थमा दी थी भुजाओ में, बिना कुछ बताए,
में बेकार ही हवा में, गोता लगाता रहा,
जब तक समझ पाता मछली का रिस्ता पानी से,
तब तक देर हो चुकी होती हे धड़कनो की रवानी में,
ना तो शब्दो का अर्थ पता है,
ना ही उनका उच्चारण,
करने चला हूँ में वाद विवाद उनके महत्व पर |
में बेकार ही हवा में, गोता लगाता रहा,
जब तक समझ पाता मछली का रिस्ता पानी से,
तब तक देर हो चुकी होती हे धड़कनो की रवानी में,
ना तो शब्दो का अर्थ पता है,
ना ही उनका उच्चारण,
करने चला हूँ में वाद विवाद उनके महत्व पर |
@ कमल सिंह मीणा
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