पर उपदेश कुशल बहुतेरे ,जे आचरहिं ते नर न घनेरे

'पर उपदेश कुशल बहुतेरे ,जे आचरहिं ते नर न घनेरे - सूक्ति से तात्पर्य यह है कि दूसरों को उपदेश देने में बहुत लोग कुशल होते हैं परन्तु उस शिक्षा पर स्वयं आचरण करने बाले बहुत कम हीं होते हैं।

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