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में एक वृद्ध पेड़ | Kamal Singh

में एक वृद्ध पेड़...... हम भी नादान थे शिशु अवस्था में, ना कोई अस्तित्व था, तो ना कोई पहचान | फिर भी पवन के हर झोंके पर, अपनी फुनगियों के झुलु से स्वम को बयां करते थे | सफर समय के साथ धीरे-धीरे गुजरता गया, मौसम के बदलाव ने भी जिंदगी को, अनुकूलता में ढालना सिखा दिया | आते रहते थे आंधी तूफान, खड़ा रहने की ख्वाइश में, जड़ों की गहराई व तने की पुष्टता, पर ध्यान का अग्रसर होना स्वाभाविक ही था | शाखाएं भी अब बहुत बढ़ चुकी थी, मानो सरसराहट की गूंज से, पत्ते भी अपनी ख़ुशी के गीत गा रहे थे | नन्हे मुन्हें बालक फुनगियों पर झूले झूने लगे, खग विहग की चहचहाट के, मधुर मधुर स्वर भी मन को बहुत भाते,  मानो सब वासुदेव कुटुंबकम, का अहसास दिला रहे हो | मित्रता का भाव था सब में, खग विहग हो या मवेशी, सबकी दिनचर्या का हिस्सा बन गया था कुछ पथिको का मध्यान भोजन भी होता था, तो कुछ को थकान मिटाने के लिए, विश्रांती की छाव भी भाव जाती थी | चलता रहा कुछ ऐसा ही सफर, पता भी ना चला कब, वर्ष महीनो में निकल गए |  समय के बहाव में, ये भी कब स्थिर रहने वाला था, और जल्दी ही सब कुछ बदलने वाला था | वक्...

I can dream it again | Kamal Singh

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'God has not promised Skies always blue' by Dr. APJ, Abdul kalam Ji

"God has not promised Skies always blue, Flower-strewn pathways All our life through; God has not promised  Sun without rain, Joys without sorrow, Peace without pain. But God has promised  Strength for the day, Rest for the labour Light for the way."

किसी से उनकी मंजिल का पता पाया नही जाता by MAKHMOOR DEHELVI

किसी से उनकी मंजिल का पता,  पाया नही जाता, जहाँ है वो फरिश्तों का वहाँ,  साया नही जाता॥ मोहब्बत के लिये कुछ खास दिल ,  मखसुस होते है, ये वो नगमा है जो हर एक साज पे,  गाया नही जाता॥ किसी से उनकी मंजिल का पता,  पाया नही जाता॥॥ फ़कीरी मे भी मुझको माँगने मे,  शर्म आती है, तेरा हो के किसी से हाथ,  फैलाया नही जाता॥ किसीसे उनकी मंजिल का पता,  पाया नही जाता॥॥ चमन तुमसे ही रोशन है,  बहारे तुमसे है जिंदा, तुम्हारे सामने फूलों से,  मुरझाया नही जाता॥ किसीसे उनकी मंजिल का पता,  पाया नही जाता॥॥ मोहब्बत की नही जाती,  मोहब्बत हो ही जाती है, ये शोला खुद भडकता है,  इसे भड़काया नही जाता॥ किसीसे उनकी मंजिल का पता,  पाया नही जाता॥॥ मेरे टूटे हुये पेरौ तलब का,  मुझपे एहसान है, तेरे दर से उठ के अब कही,  जाया नही जाता॥ किसीसे उनकी मंजिल का पता,  पाया नही जाता॥॥   - MAKHMOOR DEHELVI

रहीम दास के दोहे सार के साथ

रहीम दास के दोहे सार के साथ- दुःख में सुमिरन सब करे, सुख में करे न कोय । जो सुख में सुमिरन करे, तो दुःख काहे होय । संकट में हर कोई प्रभु को याद करता है खुशी में कोई नहीं, अगर आप खुशी में भी याद करते तो संताप होता ही नही । जो बड़ेन को लघु कहें, नहीं रहीम घटी जाहिं । गिरधर मुरलीधर कहें, कछु दुःख मानत नाहिं । रहीम दास कहते हैं कि बड़े को छोटा कहने से बड़े की भव्यता कम नहीं होती, क्योंकि गिरधर को कन्हैया कहने से उनके गौरव में कमी नहीं होती । रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिए डारि । जहां काम आवे सुई, कहा करे तरवारि । रहीम दास कहते हैं कि बड़ी चीजों को देखते हुए, छोटी चीजों को फेंक देना नहीं चाहिए,  क्योंकि जहां छोटी सुई का इस्तेमाल किया जाता है,  वहां बड़ी कृपाण क्या कर सकती है? मतलब हर चीज़ का अपना एक अनोखा मोल, उपयोग होता है । कोई भी चीज़ न बड़ी होती है और न ही छोटी होती है । रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय । टूटे पे फिर ना जुड़े, जुड़े गांठ परी जाय । रहीम दास ने कहा है कि प्रेम का संबंध बहुत नाजुक होता है, इसे झटका देकर तोड़ना उचित नहीं होता । यदि यह ...

वैष्णव जन तो तेने कहिये जे पीड़ परायी जाणे रे / Narsi Mehta Bhajan

वैष्णव जन तो तेने कहिये जे पीड़ परायी जाणे रे पर-दुख्खे उपकार करे तोये मन अभिमान ना आणे रे वैष्णव जन तो तेने कहिये जे ... सकळ लोक मान सहुने वंदे नींदा न करे केनी रे वाच काछ मन निश्चळ राखे धन-धन जननी तेनी रे वैष्णव जन तो तेने कहिये जे ... सम-द्रिष्टी ने तृष्णा त्यागी पर-स्त्री जेने मात रे जिह्वा थकी असत्य ना बोले पर-धन नव झाली हाथ रे वैष्णव जन तो तेने कहिये जे ... मोह-माया व्यापे नही जेने द्रिढ़ वैराग्य जेना मन मान रे राम नाम सुन ताळी लागी सकळ तिरथ तेना तन मान रे वैष्णव जन तो तेने कहिये जे ... वण-लोभी ने कपट-रहित छे काम-क्रोध निवार्या रे भणे नरसैय्यो तेनुन दर्शन कर्ता कुळ एकोतेर तारया रे वैष्णव जन तो तेने कहिये जे ...

Tu khud ki khoj me nikal...तू खुद की खोज में निकल - लेखक तनवीर ग़ाज़ी

तू खुद की खोज में निकल तू किस लिए हताश है, तू चल तेरे वजूद की समय को भी तलाश है समय को भी तलाश है जो तुझ से लिपटी बेड़ियाँ समझ न इन को वस्त्र तू .. (x२) ये बेड़ियां पिघाल के बना ले इनको शस्त्र तू बना ले इनको शस्त्र तू तू खुद की खोज में निकल तू किस लिए हताश है, तू चल तेरे वजूद की समय को भी तलाश है समय को भी तलाश है चरित्र जब पवित्र है तोह क्यों है ये दशा तेरी .. (x२) ये पापियों को हक़ नहीं की ले परीक्षा तेरी की ले परीक्षा तेरी तू खुद की खोज में निकल तू किस लिए हताश है तू चल, तेरे वजूद की समय को भी तलाश है जला के भस्म कर उसे जो क्रूरता का जाल है .. (x२) तू आरती की लौ नहीं तू क्रोध की मशाल है तू क्रोध की मशाल है तू खुद की खोज में निकल तू किस लिए हताश है, तू चल तेरे वजूद की समय को भी तलाश है समय को भी तलाश है चूनर उड़ा के ध्वज बना गगन भी कपकाएगा .. (x२) अगर तेरी चूनर गिरी तोह एक भूकंप आएगा तोह एक भूकंप आएगा तू खुद की खोज में निकल तू किस लिए हताश है, तू चल तेरे वजूद की समय को भी तलाश है समय को भी तलाश है |