किसी से उनकी मंजिल का पता पाया नही जाता by MAKHMOOR DEHELVI
किसी से उनकी मंजिल का पता, पाया नही जाता, जहाँ है वो फरिश्तों का वहाँ, साया नही जाता॥ मोहब्बत के लिये कुछ खास दिल , मखसुस होते है, ये वो नगमा है जो हर एक साज पे, गाया नही जाता॥ किसी से उनकी मंजिल का पता, पाया नही जाता॥॥ फ़कीरी मे भी मुझको माँगने मे, शर्म आती है, तेरा हो के किसी से हाथ, फैलाया नही जाता॥ किसीसे उनकी मंजिल का पता, पाया नही जाता॥॥ चमन तुमसे ही रोशन है, बहारे तुमसे है जिंदा, तुम्हारे सामने फूलों से, मुरझाया नही जाता॥ किसीसे उनकी मंजिल का पता, पाया नही जाता॥॥ मोहब्बत की नही जाती, मोहब्बत हो ही जाती है, ये शोला खुद भडकता है, इसे भड़काया नही जाता॥ किसीसे उनकी मंजिल का पता, पाया नही जाता॥॥ मेरे टूटे हुये पेरौ तलब का, मुझपे एहसान है, तेरे दर से उठ के अब कही, जाया नही जाता॥ किसीसे उनकी मंजिल का पता, पाया नही जाता॥॥ - MAKHMOOR DEHELVI