रहीम दास के दोहे सार के साथ
रहीम दास के दोहे सार के साथ- दुःख में सुमिरन सब करे, सुख में करे न कोय । जो सुख में सुमिरन करे, तो दुःख काहे होय । संकट में हर कोई प्रभु को याद करता है खुशी में कोई नहीं, अगर आप खुशी में भी याद करते तो संताप होता ही नही । जो बड़ेन को लघु कहें, नहीं रहीम घटी जाहिं । गिरधर मुरलीधर कहें, कछु दुःख मानत नाहिं । रहीम दास कहते हैं कि बड़े को छोटा कहने से बड़े की भव्यता कम नहीं होती, क्योंकि गिरधर को कन्हैया कहने से उनके गौरव में कमी नहीं होती । रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिए डारि । जहां काम आवे सुई, कहा करे तरवारि । रहीम दास कहते हैं कि बड़ी चीजों को देखते हुए, छोटी चीजों को फेंक देना नहीं चाहिए, क्योंकि जहां छोटी सुई का इस्तेमाल किया जाता है, वहां बड़ी कृपाण क्या कर सकती है? मतलब हर चीज़ का अपना एक अनोखा मोल, उपयोग होता है । कोई भी चीज़ न बड़ी होती है और न ही छोटी होती है । रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय । टूटे पे फिर ना जुड़े, जुड़े गांठ परी जाय । रहीम दास ने कहा है कि प्रेम का संबंध बहुत नाजुक होता है, इसे झटका देकर तोड़ना उचित नहीं होता । यदि यह ...